किसान के बेटे की प्रेरणादायी कामयाबी

अरुण नैथानी
सोनीपत के तेवड़ी गांव के प्रदीप सिंह ने केंद्रीय लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करके सबको चौंकाया है। किसानी पृष्ठभूिम के साधारण परिवार के सहज-सरल प्रदीप सिंह ने सफलता की जो इबारत लिखी है, वह कई मायनो में चौंकाती है। सफलता के कई चौंकाने वाले निष्कर्ष हैं। उनकी सफलता ने बताया है कि खेलों, शारीरिक सौष्ठव में ही नहीं, बौद्धिक स्पर्धा में भी हरियाणा की प्रतिभाएं अव्वल आ सकती हैं। यह भी निष्कर्ष दिया है कि पहले दो बार में प्रवेश परीक्षा में असफल रहने वाला शख्स आगे के प्रयासों में टॉप भी कर सकता है। यह भी कि मेहनत और योजनाबद्ध ढंग से सामान्य छात्र भी असामान्य कर सकते हैं। वे आज उन तमाम छात्रों के लिये प्रेरणापुंज हैं जो एक-दो बार में आईएएस की परीक्षा में विफल हो जाने के बाद आगे के प्रयास बंद करके हताशा में डूब जाते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदीप ने पारिवारिक दायित्वों और नौकरी करते हुए ये कामयाबी हासिल की है। बारहवीं करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। कालांतर एमएससी करने के उपरांत दिल्ली में इनकम टैक्स अफसर बने। दो बार की विफलता के बाद वर्ष 2018 में फिर आईएएस की परीक्षा दी और पूरे देश में 260वां रैंक हासिल किया। उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा ज्वाइन की, फिलहाल वे फरीदाबाद स्थित राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर एवं नार्कोटिक्स अकादमी में पर्यवेक्षण पर हैं।
एक समय ऐसा भी आया जब 29 वर्षीय प्रदीप को लगा कि नौकरी के साथ आईएएस परीक्षा की तैयारी नहीं हो सकती। लेकिन उनके पिता ने हमेशा उनका उत्साह बढ़ाया और कहा कि वह ऐसा कर सकता है। प्रदीप कहते भी हैं कि जो हमें प्रेरित करते हैं, निरंतर उनके संपर्क में रहना चाहिए। मैं जब भी कमजोर पड़ा, पिता ने संबल दिया, जिसकी बदौलत मैं आज आईएएस परीक्षा टॉप कर पाया हूं।
प्रदीप एक किसान परिवार से हैं। उनके पिता सुखबीर सिंह एक किसान हैं और गांव के सरपंच भी रह चुके हैं। पिता उनके दिल के बेहद करीब हैं। पढ़ाई के दौरान प्रदीप ने कभी नहीं सोचा था कि आईएएस बनना है। उन्होंने इंजीनियरिंग की थी। पिता ने उन्हें बड़ा सपना दिखाया और उस सपने को पूरा करने का हौसला भी दिया। जब-जब प्रदीप का मन कमजोर हुआ, पिता संबल बनकर आगे आये। पिता सुखबीर सिंह कहते भी हैं, ‘माता-पिता को अपने बच्चों की क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए। वे जो पाना चाहते हैं, उसके लिये प्रेरित भी करना चाहिए।’
प्रदीप उन तमाम युवाओं के लिये प्रेरणापुंज हैं जो सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं और महंगी कोचिंग्स नहीं ले पाते। वे कहते हैं, ‘हमें अपना ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित रखना चाहिए। एकाग्रता बनाये रखें। कभी ऐसा वक्त भी आ सकता है जब आपको लगेगा कि हमसे नहीं हो पायेगा। उस वक्त आपका दृढ़ निश्चय मददगार होगा। हमें उन लक्ष्यों को याद करना चाहिए, जिसके लिये हमने यह राह चुनी थी।’
बहरहाल, सहज-सरल दिखने वाले प्रदीप सिंह अपनी कामयाबी से खासे प्रसन्न हैं। जब रिजल्ट आया तो उन्हें यह पता था कि वे पास हुए हैं, मगर टॉप किया है, उन्हें नहीं मालूम था। एक मित्र ने फोन के जरिये इसकी सूचना दी। इससे उनकी खुशी दुगनी हो गई।
प्रदीप की दिली इच्छा रही है कि उन्हें हरियाणा कैडर मिले ताकि वे खेत-किसानी के प्रदेश की सेवा कर सकें। उनके जीवन का मकसद है कि शिक्षा के सुधारों को गति दें और किसान व कमजोर तबके के उत्थान के लिये काम कर सकें। उन्होंने पिता के सरपंच और किसानी के जीवन को करीब से देखा है। आईएएस परीक्षा के साक्षात्कार में भी उनकी किसान पृष्ठभूमि को लेकर प्रश्न किये गये। पूछा गया कि केंद्र सरकार द्वारा 2022 तक किसान की आय दुगनी करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में तो संभव नहीं लेकिन यदि घोषणाओं को हकीकत में बदला जाये तो संभव है। जैसे किसानों को अपनी फसल बेचने की छूट। आईएएस परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्रों से वे कहना चाहते हैं कि मुख्य परीक्षा के लिये लेखन कला को निखारना चाहिए। साक्षात्कार के लिये अपनी स्किल्स पर ध्यान देना चाहिए। यदि कड़ी मेहनत से आगे बढ़ा जाये तो लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
यद्यपि नौकरी के साथ आईएएस की परीक्षा की तैयारी मुश्किल थी लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई को योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया। उन्होंने दिन के घंटे तय करने के बजाय सप्ताह के लिये पाठ्यक्रम निर्धारित किया। यदि किसी एक दिन पूरा समय नहीं मिला तो अगले दिन उसकी पूर्ति कर ली। लेकिन सप्ताह का पाठ्यक्रम सप्ताह में ही पूरा किया। आयकर अधिकारी के रूप में दिन में जब एक घंटे का लंच ब्रेक मिलता था तो दस मिनट में लंच करके पचास मिनट में पढ़ाई कर लेते थे। प्रदीप का मानना है कि पढ़ाई में निरंतरता के साथ लक्ष्य के प्रति फोकस होना चाहिए। एकाग्रता जरूरी है।
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