कोरोना से रिकवरी
कोरोना का कहर शुरू होने के बाद से बीते बुधवार को पहली बार इस महामारी से लडक़र जीत जाने वालों की तादाद (1,35,205) इसके चंगुल में फंसे लोगों (1,33,632) से ज्यादा दर्ज की गई। इस बात के मनोवैज्ञानिक प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन क्या इस आधार पर यह नतीजा निकालना उचित होगा कि भारत में महामारी का जोर अब कम होना शुरू हो गया है? इस सवाल का सही जवाब पाने के लिए हमें दो बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। पहला यह कि रोज आने वाले मामलों में कमी का कोई रुझान दिख रहा है या नहीं। साफ है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। मई के अंत में रोजाना औसतन पांच हजार मामले आने शुरू हुए तो घबराहट सी होने लगी थी। लेकिन इधर एक हफ्ते से लगभग दस हजार मामले हर रोज दर्ज किए जाने लगे हैं। दूसरा खास बिंदु यह कि रिकवर या ठीक हो चुका मामला हम किसे मानते हैं। सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक जो मरीज बहुत कमजोर नहीं हैं उन्हें डिस्चार्ज करने से पहले कोरोना टेस्ट के लिए नहीं कहा जा रहा। यह भी कि तीन दिन से बुखार न आ रहा हो और कोई अन्य स्पष्ट लक्षण भी न हो तो घर पर क्वारंटीन की सलाह देकर ऐसे मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया जाए। जाहिर है, ऐसे सभी मरीज डिस्चार्ज्ड/रिकवर्ड लिस्ट में शामिल हैं। ऐसी कोई स्टडी अभी नहीं आई है जिससे पता चले कि अस्पताल से डिस्चार्ज हुए मरीजों में से क्या किसी में दोबारा बीमारी के लक्षण दिखे हैं, या यह कि उनमें से किसी ने क्या किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित किया है। गाइडलाइंस में अगर किसी सुधार की जरूरत हुई तो वह इस छानबीन से निकली जानकारियों के बल पर ही संभव हो पाएगा। जहां तक भारत की मौजूदा स्थिति का सवाल है तो जापानी सिक्यॉरिटीज रिसर्च फर्म नोमुरा की हालिया स्टडी गौर करने लायक है। दुनिया के कुल 45 निवेश ठिकानों की इस स्टडी रिपोर्ट में वहां लॉकडाउन हटाने के क्रम में पैदा हो रही स्थितियों का जायजा लिया गया है। रिपोर्ट भारत को उन 15 देशों में रखती है जो लॉकडाउन हटाने के क्रम में अधिक खतरे की स्थिति में माने जा रहे हैं। बाकी 30 में से 17 देश ऐसे हैं जहां महामारी की दूसरी लहर आने की संभावना नगण्य है, जबकि 13 को खतरे से सजग रहने को कहा है। सीधे खतरे में रखे गए अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों को लेकर यह अंदेशा भी जताया गया है कि यहां अनलॉकिंग के बाद संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे कुछ जगहों पर लॉकडाउन की वापसी जरूरी हो सकती है। ऐसा भला कौन चाहेगा? अनलॉकिंग के साथ देश में जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। हमें किसी भ्रम में नहीं पडऩा होगा और हर जरूरी एहतियात बरतते हुए अनलॉकिंग को और आगे ले जाना होगा।