कोरोना: टीके पर नजर

कोरोना वायरस से त्रस्त दुनिया के लिए सोमवार को लंदन से यह चौंकाने वाली खुशखबरी आई कि इस महामारी का टीका विकसित करने में वहां एक बड़ी कामयाबी हासिल की गई है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में चल रही वैक्सीन रिसर्च से जुड़ी इस रिपोर्ट को हर जगह भरपूर तवज्जो दी गई, जिसमें बताया गया था कि 1077 लोगों पर इस वैक्सीन के प्रयोग के काफी सकारात्मक और उत्साहवर्धक नतीजे हासिल हुए हैं।
इसमें पाया गया कि वैक्सीन के असर से इन लोगों में एंटीबॉडीज और टी सेल्स दोनों बनीं जो वायरस के खिलाफ पहले और दूसरे सुरक्षा कवच का काम करती हैं। एक और जरूरी बात यह कि इस टीके का कोई नुकसान नहीं देखा गया। किसी-किसी में खांसी, जुकाम और बुखार जैसे कुछ लक्षण जरूर दिखे, लेकिन वे पैरासिटामॉल से काबू में आ गए।
बहरहाल, इस खबर से उपजी खुशी का ज्वार अभी उतरा भी नहीं था कि इसी से जुड़ी एक उलटी खबर यह सुनने को मिली कि ऑक्सफर्ड में बन रहे इस टीके का लाइसेंस जिसके पास है, उस विराट ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी ऐस्ट्राजेनेका के शेयर तेजी से गिरने लगे। इसके शेयर जून से ही ऊपर जा रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस का टीका डिवेलप करने में मिली सफलता की खबर फैलने के तुरंत बाद ये गिरने शुरू हुए और पिछले दिन की तुलना में 5.7 फीसदी गिरकर बंद हुए। थोड़ी देर में साफ हुआ कि टीके पर जारी इस रिसर्च से हर तरफ जो उम्मीदें जुड़ गई थीं, रिसर्च में मिली सफलता उस मानक पर काफी कमजोर साबित हुई।
धीरे-धीरे डीटेल्स आए तो स्पष्ट हुआ कि सफलता तो यह है, लेकिन उतनी बड़ी नहीं कि इससे तत्काल स्थितियों में किसी बदलाव या बेहतरी की उम्मीद बांधी जा सके। यह प्रयोग चिंपैंजी में पाए जाने वाले एक वायरस को लेकर किया जा रहा है, जिसमें कोरोना वायरस की ‘स्पाइक प्रोटीन’ कृत्रिम रूप से डालकर इसको उसी के जैसा बनाया गया है और उम्मीद की जा रही है कि इससे लडऩे के क्रम में शरीर कोरोना वायरस से लडऩे का तरीका ढूंढ लेगा।
हाल की रिपोर्ट में दर्ज अहम ब्रेकथ्रू के बावजूद रिसर्च टीम यह कहने की स्थिति में नहीं है कि यह वैक्सीन कोरोना के केस में काम करेगी या नहीं, करे भी तो इसके लिए डोज क्या रखनी होगी, और यह भी कि सही डोज के बावजूद यह टीका एक बार लगाने से कोई जीवन भर के लिए कोरोना वायरस से सुरक्षित हो जाएगा, या थोड़े-थोड़े दिन बाद यह कसरत उसके हिस्से आती रहेगी। एक बात तय है कि वैक्सीन को लेकर हर तरफ दिख रही बेकरारी हमें कहीं नहीं ले जाने वाली।
विशेषज्ञ अभी इतना ही भरोसा दिला रहे हैं कि इस बीमारी का टीका बन सकता है और कई अन्य बीमारियों की तुलना में यह जल्दी बन जाएगा। लेकिन वैक्सीन बनने की प्रक्रिया दवा ईजाद करने से ज्यादा जटिल है और इस मामले में धैर्य, संयम और सावधानी बनाए रखने का कोई विकल्प नहीं है।