top of page

कोरोना की दवा: बाबा रामदेव के दावे पर सवाल

सियाराम पांडेय 'शांत'



कोरोना संकट निश्चित रूप से विकट जानलेवा आपदा है। इसने जन-धन को भारी नुकसान पहुंचाया है। चीन की फैलाई इस बीमारी ने दुनिया के अधिसंख्य देशों में तबाही का मंजर उपस्थित कर दिया है। जिस तेजी से कोरोना संक्रमितों की तादाद बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह कहने में संकोच नहीं होना चाहिए कि जल्द ही यह आंकड़ा एक करोड़ के पार हो जाएगा। दुनिया भर में अबतक 93 लाख 43 हजार 220 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 4 लाख 78 हजार 920 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 4,56,183 हो गई है, जिनमें से 1,83,022 सक्रिय मामले हैं। 2,58,685 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 14,476 लोगों की मौत हो चुकी है। सुखद संकेत यह है कि कोरोना से लोग ज्यादातर संख्या में ठीक भी हो रहे हैं लेकिन ऐसा उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के जरिये हो रहा है। जिस तरह अभी भी कोरोना के लक्षण बताए जा रहे हैं, उससे उम्मीदों के बांध का टूटना स्वाभाविक है।

कोरोना का टीका अभी वैज्ञानिक विकसित ही नहीं कर पाए हैं। इस बीच भारत में योगगुरु बाबा रामदेव ने कोरोना की अचूक दवा बनाने का दावा किया है। जब आयुर्वेद और होम्योपैथी के चिकित्सक यह जानते हुए भी कि आयुर्वेद और होम्योपैथी में कोरोना का इलाज है, उसका दावा नहीं कर पा रहे थे तब योगगुरु रामदेव पहले दिन से कोरोना के निश्चित इलाज की बात कर रहे हैं। हालांकि उनके दावे को तब भी व्यावसायिक नजरिये से देखा जा रहा था और आज भी उस स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। बिहार और राजस्थान में उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद और निम्स यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे कमोबेश इसी ओर इशारा करते हैं। उनपर आरोप है कि वे देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं।

विचारणीय तो यह है कि होम्योपैथी की दवाएं जर्मनी की फार्मेसी में बनती है, उस जर्मनी द्वारा भी कभी कोरोना के इलाज का दावा नहीं किया गया। आयुर्वेद के अधि