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कोरोना: आओ ‘बबल’ बनाएं



धन्य कहें एयर बबल को, जिसकी बदौलत पिछले चार महीने से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लगी रोक अब हटने लगी है। द्विपक्षीय एयर बबल की व्यवस्था के सहारे अमेरिका, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात के बीच उड़ानें शुरू होने की बाकायदा घोषणा हो चुकी है, जबकि अन्य कई देशों के साथ बातचीत अंतिम दौर में है। इससे पहले बबल व्यवस्था के ही तहत वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट श्रृंखला का एक मैच संपन्न हो चुका है। कोरोना कालीन पाबंदियों के दौर में बबल उम्मीद की किरण दिखाने वाला शब्द बनता जा रहा है।

यह कोरोना से पहले का नॉर्मल दौर तो नहीं, लेकिन नॉर्मल से एक कदम पहले वाली स्थिति बहाल करने का जरिया जरूर बन रहा है। हालांकि हवाई यात्राओं और क्रिकेट मैच के संदर्भ में उपयोग किए जा रहे इस एक शब्द के अर्थ काफी अलग-अलग हैं। क्रिकेट में इसका मतलब है, दो देशों के खिलाडिय़ों और मैच में भूमिका निभाने वाले चुनिंदा लोगों के लिए एक ऐसा बबल बनाना जिसमें वे टीवी कैमरों के जरिये सबको दिखें लेकिन कोई भी बबल के अंदर जाकर उनसे मिल न सके। मतलब यह कि खिलाडिय़ों और तमाम सपोर्ट स्टाफ सहित ये सारे लोग जिस होटल में ठहरेंगे वहां से लेकर स्टेडियम तक बाहर का कोई भी इंसान इनके पास नहीं जाएगा और न ही ये किसी से मिलेंगे। इस बीच ये सैनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखेंगे और इनके नियमित कोरोना परीक्षण होते रहेंगे। पिछले दिनों इसी बबल को तोडक़र थोड़ी देर के लिए घर चले जाने के चलते इंग्लैंड के बोलर जोफ्रा आर्चर न केवल बैन हो गए बल्कि हर तरफ से उनकी लानत-मलामत भी हुई।

हवाई उड़ानों के संदर्भ में बबल शब्द का मतलब थोड़ा अलग है। इसमें ऐसा कोई घेरा बनाने की बात नहीं है, लेकिन कठोर पाबंदियां यहां भी हैं। इसके तहत शुरू हो रही उड़ानों में ओपन बुकिंग के तहत किसी को भी टिकट बुक कराने की सहूलियत फिलहाल नहीं होगी। विभिन्न देशों की अपनी शर्तें हैं। ज्यादातर मामलों में वही लोग यात्रा कर पाएंगे जिनके पारिवारिक सदस्य (पति या पत्नी) गंतव्य देश के स्थायी निवासी/ नागरिक/ ग्रीन कार्ड होल्डर हैं। हर यात्री को कोरोना टेस्ट के नेगेटिव रिजल्ट वाला सर्टिफिकेट साथ रखना होगा और उन पर क्वारंटीन संबंधी पाबंदियां भी उस जगह की लागू होंगी जहां वे लैंड करेंगे।

साफ है कि यह फ्री मूवमेंट जैसी स्थिति नहीं है। न तो क्रिकेट खिलाड़ी कोरोना से पहले के सुनहरे दिनों वाला थ्रिल महसूस कर सकते हैं, न ही एक से दूसरे देश को जा रहे लोग। आज के हालात में यह संभव नहीं है और उचित भी नहीं है। फिर भी ‘बबल’ के अंदर अधिकतम सुरक्षा के साथ कारोबार शुरू हो रहा है। खेल आखिर हो रहा है, उड़ानें शुरू हो गई हैं। प्रयोग सफल रहा तो इसी बबल व्यवस्था को बॉलिवुड, टीवी सीरियल, मॉल, होटल इंडस्ट्री आदि क्षेत्रों में भी लागू करते हुए हम धीरे-धीरे हालात को एक हद तक कामकाजी बनाने की ओर बढ़ेंगे।


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