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कूनो पालपुर के विस्थापित ग्रामों को राजस्व ग्राम का दिया जायेगा दर्जा : मुख्यमंत्री श्री चौहान

स्किल डेलपमेंट केन्द्र से युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा

भोपाल,(आरएनएस)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कूनो नेशनल पार्क से विस्थापित हुए ऐसे ग्राम जो अभी भी मजरे टोले है, उन्हें पूर्ण राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जायेगा। यह कार्यवाही आज से ही शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में 5 स्किल डेवलपमेंट केन्द्र बनाये जायेंगे। इनमें क्षेत्रीय युवाओं को प्रशिक्षण दिला कर रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कूनो नेशनल पार्क में हुए चीता मित्र सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को चीतों की सौगात देने कूनो नेशनल पार्क आ रहे है। यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक अवसर होगा। कूनो नेशनल पार्क अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायेगा। एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप पर चीतों की शिफ्टिंग का कार्य एक अदभुद कार्य है। कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन देश नामीबिया से चीतों को लाकर बसाया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी अपने जन्म-दिवस पर कूनो पालपुर के बाड़े में चीतों को विमुक्त करेंगे। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव का इस प्रोजेक्ट को लाने में उनका पूरा सहयोग रहा है। उन्होंने क्षेत्रीय सांसद एवं केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रयासों की भी सराहना की। कूनों के प्राकृतिक सौन्दर्य से अभिभूत मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क का प्राकृतिक वातावरण और यहाँ बहने वाली कूनो नदी सहित अन्य मनोहारी दृश्य इस स्थान को स्वर्ग जैसा सुन्दर बनाते हैं।

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कार्यक्रम में मौजूद स्कूली बच्चों के स्किल कम्युनिकेशन की सराहना की और कहा कि यहाँ के बच्चों का शैक्षणिक स्तर प्रंशसनीय है। बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी है। उन्होंने कूनो के आसपास बसे ग्रामों के लोगो को सहज और सरल बताते हुए उनकी सराहना की और कहा कि कूनो रिर्जव एरिया के संरक्षण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

केन्द्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मिशन लाइफ में पर्यावरणीय व्यवस्थाओं की दिशा में सतत् रूप से प्रयास किये जा रहे हैं। शहर तो हमने बसा लिये, लेकिन सुकून की तलाश में आज भी हम वनों को तलाशते हुए आते ह