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कश्मीर से मध्य प्रदेश तक !


आदित्य चोपड़ा

भारत के दो कोनों से जब दो अलग-अलग धाराओं में इसके लोगों के बीच आपसी वैमनस्य पैदा करने की खबरें आती हैं तो हर भारतवासी को यह सोचने पर विवश होना पड़ता है कि इस देश की सामाजिक व राष्ट्रीय एकता के लिए नागरिकों के मूल अधिकारों का कितना महत्व है? ये अधिकार उसे भारत का संविधान इस प्रकार देता है कि राजनीतिक दलों की सत्ता की विविधता के बीच शासन केवल संविधान या कानून का ही रहेगा, परन्तु जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में जिस तरह यहां के एक सर्राफ सतपाल निश्छल की हत्या उसकी दूकान पर इसलिए की गई कि उसने इस राज्य के बदले कानूनों के तहत स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र ले लिया था, बताता है कि राज्य में वे लोग भेष बदल कर और नाम बदल कर कानून का शासन नहीं होने देना चाहते। राज्य में आतंकवादी दस्ते नये नाम से सामान्य नागरिकों को बदले जम्मू-कश्मीर में दहशत के साये में रख कर भारतीय संविधान को चुनौती देना चाहते हैं। सतपाल निश्छल की हत्या का जिम्मा एक आतंकवादी गिरोह 'टीआरएफÓ ने लिया है जिसे 'लश्करे तैयबाÓ की ही एक शाखा कहा जा रहा है। यह संगठन बदले कानूनों के तहत स्थायी नागरिकता पाने वाले नागरिकों को अपना निशाना बनाना चाहता है जिससे इस राज्य के नागरिक आपसी भाईचारे के साथ मिल कर न रह सकें और एक-दूसरे को शक की नजरों से देखते रहें। स्व. सतपाल की श्रीनगर के बाजार में पिछले 40 साल से दूकान थी। एक मायने में वह जम्मू-कश्मीर के ही बाशिन्दे थे मगर धारा 370 और 35(ए) के चलते राज्य के स्थायी निवासी नहीं बन सकते थे। इन दोनों उपबन्धों के हटने से यहां निवास करने वाले नागरिकों को यह अधिकार दिया गया कि यदि वे 15 वर्ष से इस राज्य में रह रहे हैं तो उन्हें स्थायी निवासी का दर्जा दे दिया जायेगा और वे स्थायी सम्पत्ति जैसे जमीन-जायदाद खरीदने के हकदार हो जायेंगे।

इस प्रावधान के अनुसार केवल वे व्यक्ति ही स्थायी निवासी हो सकेंगे जो वर्षों से इस राज्य में रह रहे हैं और यहां के सामाजिक ढांचे का हिस्सा है। नया कानून यह नहीं कहता कि किसी दूसरे राज्य से जम्मू-कश्मीर जाकर बसने वाला व्यक्ति रातों-रात इसका स्थायी निवासी हो जायेगा। फिर 70 वर्षीय सतपाल की एक पुत्रवधू भी जम्मू क्षेत्र की है और उसी के नाम पर उन्होंने अपनी दुकान व मकान की पक्की खरीदारी की। इसमें जम्मू-कश्मीर का जनसंख्या परिवर्तन का खतरा कैसे पैदा हो गया? आखिरकार लोकसभा चुनावों में मतदान करने के लिए तो सतपाल जी का पूरा परिवार पहले से ही अधिकृत था। अत: जरूरी है कि ज