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कर्नाटक हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अब 12 को होगी सुनवाई


नई दिल्ली,(ए)। सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक हिजाब मामले पर अब 12 सितंबर को सुनवाई करेगा। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील देवदत्त कामत ने कहा कि मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध तभी लग सकता है, जब वो कानून व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य के खिलाफ हो, लेकिन हिजाब के मामले में ऐसा नहीं है।

सुनवाई के दौरान देवदत्त कामत ने दलील दी कि मैं जनेऊ पहनता हूं। वरिष्ठ वकील के परासरन भी ये पहनते हैं, लेकिन क्या ये किसी भी तरह कोर्ट के अनुशासन का उल्लंघन है। तब कोर्ट ने कहा कि आप कोर्ट में ड्रेस की तुलना स्कूल ड्रेस से नहीं कर सकते हैं। कल धवन ने पगड़ी का हवाला दिया था लेकिन पगड़ी भी धार्मिक पोशाक नहीं है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि सड़क पर हिजाब पहनने से भले ही किसी को दिक्कत न हो लेकिन सवाल स्कूल में हिजाब पहनने को लेकर है। सवाल ये है कि स्कूल प्रशासन किस तरह की व्यवस्था बनाये रखना चाहता है। कामत ने इस पर दलील दी कि स्कूल व्यवस्था बनाये रखने का हवाला इस आधार पर नहीं दे सकते हैं कि कुछ लोगों को हिजाब से दिक़्कत हो रही है और वो नारेबाजी कर रहे हैं। ये तो स्कूल की जिम्मेदारी है कि वो ऐसा माहौल तैयार करें, जहां मैं अपने मूल अधिकारों का स्वतंत्र होकर इस्तेमाल कर सकूं।07 सितंबर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राइट टू ड्रेस अगर मौलिक अधिकार है तो राइट टू अन-ड्रेस भी मौलिक अधिकार होगा। सुनवाई के दौरान वकील एजाज मकबूल ने कहा था कि मैंने सभी 23 याचिकाओं की मुख्य बातों का संकलन जमा करवाया है। व्हाट्स ऐप ग्रुप बना कर उसे वकीलों को भी दिया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुद्दों का बंटवारा कर सुनवाई हो। ऐसा नहीं हो सकता कि संविधान सभा की बहस की तरह इसे लंबा चलाया जाए।

सुनवाई के दौरान हिजाब समर्थक पक्ष के वकील देवदत्त कामत ने कहा था कि सरकार छात्रों के अधिकार की रक्षा में असफल है। यूनिफॉर्म पहनने के बाद सिर पर उसी रंग का स्कार्फ रखने में क्या गलत है। कोई बुर्का पहनने की मांग नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान पर भी एक आदेश दिया था। इस पर जस्टिस सुधांशु धुलिया ने कहा था कि हां, उस फैसले में माना गया था कि राष्ट्रगान के समय खड़े होना सम्मान है। उसे गाना जरूरी नहीं। तब कामत ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में मुस्लिम लड़कियों को स्कार्फ पहनने की अनुमति है। कर्नाटक के स्कूलों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा था कि यह देखना होगा कि क्या स्कूल के भीतर संविधान के अनुच्छेद 19 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता) या 25( धर्म के पालन का अधिकार) लागू नहीं होता है। कामत ने दक्षिण अफ्रीका के एक मामले पर बोला जो एक भारतीय छात्र सोनाली से जुड़ा है। तब जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा था कि अब आप भारत आ जाइए। कामत ने अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड के भी कुछ मामलों का हवाला दिया। तब जस्टिस गुप्ता ने कहा कि इन देशों से भारत की तुलना नहीं हो सकती। उनकी परिस्थितियां अलग हैं। इस पर कामत ने कहा कि मैं सिर्फ कुछ उदाहरण दे रहा हूं।