आर्थिकी को संबल देगी कृषि की मजबूती
जयंतीलाल भंडारी हाल ही में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का जो मंत्र दिया है, उसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बेहतर कृषि की सबसे अधिक अहमियत है। इस समय कोरोना से छाई निराशा के बीच भारत के लिए बेहतर कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था आशा की सबसे उजली किरण बनकर दिखाई दे रही है। भारत का सबसे मजबूत पक्ष यह है कि देश के सामने 135 करोड़ लोगों की भोजन संबंधी चिंता नहीं है। अप्रैल, 2020 के अंत तक देश के पास करीब 10 करोड़ टन खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार सुनिश्चित हो जाएगा, जिससे करीब डेढ़ वर्ष तक देश के लोगों की खाद्यान्न जरूरतों को सरलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है। निश्चित रूप से 2008 की वैश्विक मंदी में भी भारत दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कम प्रभावित हुआ था। इसका प्रमुख कारण देश के ग्रामीण बाजार की जोरदार शक्ति भी माना गया था। यद्यपि हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान करीब 17 फीसदी है। लेकिन देश के 60 फीसदी लोग खेती पर आश्रित हैं। एक बार फिर कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच देश की सबसे बड़ी अनुकूलता देश के सरकारी गोदामों में खाद्यान्न, दलहन और तिलहन का पर्याप्त भंडार बन गया है। विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं और राशन कार्ड रखने वाले लोगों को वर्ष में करीब 6 करोड़ टन अनाज वितरित किया जाता है। केंद्र सरकार का मानना है कि लॉकडाउन के मौजूदा दौर में राज्यों के द्वारा कोई 3 करोड़ टन खाद्यान्न की मांग तुरंत की जा सकती है। इससे देश के सभी राज्य आगामी 6 महीने तक अपने-अपने राज्यों में लोगों के लिए खाद्यान्न की जरूरतों को सरलता से पूरा कर पाएंगे। हाल ही में 16 अप्रैल को कृषि मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किए फसल वर्ष 2019-20 के दूसरे अग्रिम अनुमान के आंकड़े सुकूनभरा संकेत दे रहे हैं। देश में खाद्यान्न उत्पादन 29.19 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों के 3.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि की बात कही गई है। आगामी फसल वर्ष 2020-21 में खाद्यान्नों का उत्पादन लक्ष्य 29.83 करोड़ टन रखा गया है। देश में पहली बार इतना बड़ा खाद्यान्न उत्पादन लक्ष्य रखा गया है। इस बड़े लक्ष्य के पूरा होने की संभावना इसलिए है कि भारतीय मौसम विज्ञान (आईएमडी) ने इस वर्ष मानसून के अच्छा रहने की भविष्यवाणी की है। नि:संदेह अच्छा मानसून न केवल देश के कृषि जगत के लिए अपितु पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद है। अच्छा मानसून जल विद्युत उत्पादन और पानी का उपयोग करने वाले विभिन्न उद्योगों के लिए भी लाभप्रद है। अच्छे मानसून से पानी के मौजूदा भंडार में और वृद्धि हो सकती है। इस समय देश के करीब 123 बड़े जलाशयों में पानी का मौजूदा भंडार पिछले वर्ष के जलस्तर से करीब 63 प्रतिशत अधिक है। अच्छे मानसून से आने वाले गर्मी के मौसम में कृषि और घरेलू क्षेत्र के लिए पानी की जरूरत पूरी करने में मदद मिलेगी। बेहतर कृषि से ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी तथा संपूर्ण अर्थव्यवस्था को आगे बढऩे में मदद मिलेगी। लॉकडाउन-2 में सरकार की कृषि क्षेत्र के मोर्चे पर सराहनीय सक्रियता दिखाई दे रही है। देश की कृषि अर्थव्यवस्था को काफी हद तक अपनी हानि कम करने में मदद मिलेगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रोजगार के सबसे बड़े स्रोत मनरेगा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही अधिक लोगों को रोजगार मिल सके इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों की मौजूदा सिंचाई और जल संरक्षण योजनाओं को भी मनरेगा से जोड़ दिया गया है। मनरेगा की नई मजदूरी दर से भी ग्रामीण श्रमिक लाभान्वित होंगे। वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट के तहत 6०० करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया हुआ है। सरकार ने वर्ष 2020-21 में ग्रामीण सडक़ कार्यक्रम के लिए 19000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। ऐसे विभिन्न प्रावधान बेहतर कृषि और बेहतर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद हैं। निश्चित रूप से लॉकडाउन-2 के तहत सरकार द्वारा 20 अप्रैल से खेती और ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को शुरू किये जा