अयोध्या में मोहन भागवत की विशिष्ट उपस्थिति के मायने

कृष्णमोहन झा/
अयोध्या में करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण हेतु बहुप्रतीक्षित भूमि पूजन समारोह के गरिमामयआयोजन ने इतिहास के स्वर्णिम अध्याय का शुभारंभ कर दिया है।केवल भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में फैले असंख्य रामभक्तों के दिलों में आनंद का जो अथाह सागर हिलोरें मार रहा है वह इस मधुर सत्य का परिचायक है कि रामभक्त अब अयोध्या में अपने आराध्य के भव्य मंदिर के निर्माण की कितनी आतुरता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। राम भक्तों की भावनाओं की जो सुंदर और मनमोहक अभिव्यक्ति भूमिपूजन समारोह के मंच से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संक्षिप्त संबोधन में की है उसने रामभक्तों के आनंद को द्विगुणित कर दिया है। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि राममंदिर आंदोलन में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए वर्तमान सरसंघ चालक मोहन भागवत का मंच से उदबोधन सारे देश में विशेष उत्सुकता का विषय बन गया था। भूमि पूजन समारोह के मंच से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के स्वागत भाषण के पश्चात जब मोहन भागवत बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंनेअपने प्रथम वाक्य में ही सारे देशवासियों के मन की बात कह दी। भागवत ने कहा - आनंद का क्षण हैञ बहुत प्रकार का आनंद है।भागवत की वाणी ने न केवल भूमि पूजन समारोह के प्रत्यक्ष साक्षी बने गणमान्य अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर किया अपितु देश -दुनिया में दूरदर्शन पर इस कार्यक्रम की सश्रद्धया
आनंदानुभूति कर रहे करोड़ों रामभक्तों के मन मस्तिष्क में भी उनके शब्द गहराई तक उतर गए। भागवत का भाषण गागर में सागर कहावत चरितार्थ कर रहा था। बीच बीच में संस्कृत श्लोको और राम चरित मानस की चौपाईयों ने मानों सोने में सुगंध भरने का काम किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की राममंदिर भूमि पूजन समारोह के मंच पर एक साथ उपस्थिति भी अपने आप में किसी ईश्वरीय संयोग का आभास करा रही थी।केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार के प्रधानमंत्री पद की बागडोर नरेंद्र मोदी के सक्षम हाथों में आने के बाद संघ प्रमुख और प्रधानमंत्री पहली बार एक मंच पर आए। अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहसिक फैसले के एक वर्ष पूर्व जब साधु संतों का एक वर्ग राम मंदिर निर्माण हेतु अधीरतावश मोदी सरकार से अध्यादेश जारी करने की मांग कर रहा था तब संघप्रमुख सरकार और साधु समाज के बीच सेतु की भूमिका निभाई थी। संघ प्रमुख ने प्रधानमंत्री के इस मत का दृढता पूर्वक समर्थन किया कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा की जाना चाहिए। संघ प्रमुख और प्रधानमंत्री की एक मंच पर एक साथ मौजूदगी का यह सुखद संयोग भले ही 6 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बना हो परंतु संघ प्रमुख की राय हमेशा से ही यह का रही है कि मोदी सरकार राष्ट्र के नवनिर्माण पूर्णत: सक्षम है7 मोदी सरकार के ऐतिहसिक फैसलों का संघ प्रमुख ने खुलकर समर्थन किया है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन समारोह के मंच से जब संघ प्रमुख ने कहा कि आज संकल्प पूर्ति के आनंद का क्षण है तब उन्होने एक और आनंद की चर्चा की। संघ प्रमुख ने कहा कि सदियों की आस पूरी होने सा आनंद है लेकिन सबसे बड़ा आनंद है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास सी आवश्यकता थी उसका सगुण साकार अधिष्ठान बनने का आज शुभारंभ हो रहा है। संघ प्रमुख ने आगे कहा कि यह एक और आनंद का विषय है कि आज परम वैभव संपन्न और सबका कल्याण करने वाले भारत के निर्माण का शुभारंभ ऐसे हाथों से हो रहा है जिनके ऊपर इस व्यवस्था गय निर्माण का दायित्व है। मोहन भागवत ने अपने इस संबोधन के माध्यम से देश को यह संदेश देने में कोई संकोच नहीं किया कि संघ को मोदी सरकार की नीतियों में पूरा भरोसा है। गौरतलब है कि संघ हमेशा से ही स्वदेशी का आग्रही रहा है। ल