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अमावस्या के स्नान पर्व पर घाटों पर उमड़े श्रद्धालु

नर्मदापुरम (निप्र) । भादों माह की अमावस्या की अनेक विशेषता है। इस अमावस्या को अलग अलग नाम से जाना जाता है। कुशोत्पाटनी अमावस्या भी कहा जाता है। मुख्य रूप से हर अमावस्या पर नियमित रूप से स्नान करने आने वाले श्रद्धालु अमावस्या के अवसर पर शहर के सभी प्रमुख घाटों पर पहुंचे। नर्मदा का जल स्तर अधिक होने से घाटों पर श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं हुई। नर्मदा की जल धारा में दूरस्थ क्षेत्रीय और स्थानीय श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा कर पुण्य लाभ लिया। भादों की इस अमावस्या के अवसर पर बैल जोड़ी की भी पूजन की प्राचीन परंपरा है।

कृषि प्रधान जिले के कई लोग खेती बाड़ी से जुडे हुए हेैं। इस कारण अधिकांश लोगों के यहां पर बैलों की पूजन की। अब घरों में पशुधन की कमी हो चुकी है। इस कारण मिट्टी के बैल जोड़ी लाकर पूजन की गई। इस अमावस्या को पोला अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पूलन पूरी बनाने की प्राचीन परंपरा है। स्नान का विशेष पर्व होने के कारण सुबह से लेकर दोपहर तक घाटों स्नानार्थियों का तांता लगा हुआ था। कई लोगों ने सेठानी घाट, विवेकानंद घाट, कोरीघाट,मंगलवारा घाट पर डुबकी लगाकर देव मंदिरों में पहुंचकर पूजन अर्चन की। एक अनुमान के तहत सभी प्रमुख घाटों पर करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने नर्मदा में स्नान किए। इसके साथ ही घाटों पर बैठे दरिद्र नारायणों को भी दान कर पुण्य कमाया। विशेष पर्व होने के कारण पूरे दिन तथा रात तक घाटों पर चहल पहल बनी रही।

बैल जोड़ी की पूजन अर्चन की

शहर के प्रजापति परिवार के द्वारा बीते एक सप्ताह से मिट्टी के बैल जोड़ी तैयार किए जा रहे थे। आज बैल जोड़ी की खूब बिक्री हुई। एक जोड़ी बैल 100 रुपए तक में मिले। खेती बाड़ी